Add To collaction

द गर्ल इन रूम 105–५७

"तब तो हम दोनों की हालत एक जैसी है, उन्होंने कहा। अब वे मुझसे अच्छी तरह घुल मिल गए थे। सौरभ बॉशरूम में लौट आया था। उसने न्यूज़पेपर उठाया और जॉब्स एंड क्लासिफाइड वाला पेज देखने लगा। इंस्पेक्टर का फोन बजा

'जी, शर्मा सर, उन्होंने फोन उठाकर कहा और खड़े हो गए, जैसे कि शर्मा सर उन्हें देख रहे हों। 'जी, शर्मा

सर बिलकुल, सर। तो सर, वॉचमैन हमारी गिरफ्त में है और हमारा केस मजबूत है। जी सर हम जल्द ही चार्जशीट फाइल करेंगे नहीं सर, आपको फिर से कॉल करने की ज़रूरत नहीं होगी। ओके, सर।' जब उन्होंने फोन काटा दिया, तो मैंने कहा, 'लेकिन आप लक्ष्मण को छोड़ देंगे ना? वो जैसा भी हो, लेकिन उसने जारा का मर्डर नहीं किया है।"

"आह, देखो, इसलिए ही मैं तुमसे यहां पर बात करना चाहता था। क्योंकि पुलिस थाने में जाने कौन हमारी

बात सुन लेता, वहां पर तो दीवारों के भी कान होते हैं।'

'EPIT?' सौरभ ने अखबार में से सिर बाहर निकाला और सुनने लगा।

  • यह हाई प्रोफ़ाइल, मीडिया कवर्ड केस प्रमोशन पाने का मेरा सबसे अच्छा मौका है। आउट-ऑफ-टर्न प्रमोशन का एक प्रोविजन होता है। इस केस के कारण मेरे सीनियर्स मुझे रिकमेंड कर सकते हैं।"

"यह तो अच्छी बात होगी, सर।'

"हां, लेकिन यह अच्छी बात केवल तभी होगी, जब मैं इस केस को सॉल्व कर लूंगा। और उनकी नज़रों में मैं पहले ही इस केस को सॉल्व कर चुका हूं।'

"लक्ष्मण को हत्यारा बताकर?' “हां, और अब तो मीडिया का भी जोश ठंडा हो गया है, उन्होंने अख़बार उठाया और शहर की ख़बरों के

पन्ने खोले ।

'देखो, एक लाइन भी नहीं है। मेरे सीनियर्स, मीडिया और पब्लिक सभी यही मानते हैं कि लक्ष्मण ने यह मर्डर किया है। उनके दिमाग में इस केस की फ़ाइल बंद हो चुकी है।'

"लेकिन उसने तो कोई फल नहीं किया, मैंने थोड़ा तैश में आकर कहा। "वो तुम्हारा भाई लगता है क्या?' राणा ने अब ऊंची आवाज़ में कहा।

नहीं, भाई तो नहीं, लेकिन वो बेकसूर है।'

"तो क्या मैं उसे छोड़ दूं, ताकि मीडिया नया ड्रामा बड़ा कर सके?"

‘ड्रामा?’ "हा यह कि पुलिस ने एक बेगुनाह को पकड़ लिया क्योंकि वह गरीब था। पुलिस अभी तक क़ातिल का

सुराग नहीं लगा पाई है। दिल्ली पुलिस बेकार है। यही सब बकवास और इस सबके लिए किसको जिम्मेदार

ठहराया जाएगा। इंस्पेक्टर राणा। तब तो हो चुका मेरा प्रमोशन। "

मैं उनसे कहना चाहता था कि उनको प्रमोशन दिलाने के लिए एक बेगुनाह आदमी अपनी पूरी जिंदगी जेल

में सड़ते हुए नहीं बिता सकता, लेकिन जाहिर है, मैंने नहीं कहा। , लेकिन कोर्ट में तो लक्ष्मण को कातिल साबित करना ही पड़ेगा?" "हाँ"

"तब तो यह कहानी वहां भी खुल ही जाएगी। वो बताएगा कि वो क्या कर रहा था और उसके वक़ील सारे डाटा ले आएंगे, जो हम लाए हैं।'

यही इंस्पेक्टर ठहाका लगाकर हंस पड़े। उन्होंने टिशू उठाया और लाते कॉफ़ी से सनी अपनी मूंछे पोछीं। सौरभ ने मेरी तरफ घूरकर देखा। वह इस पुलिस वाले से और पंगा नहीं चाहता था।

"इसमें हंसने वाली क्या बात है?' मैंने कहा। *ये कोई पिक्चर नहीं है, ये असल जिंदगी है। लक्ष्मण को भला कौन-सा वकील मिलेगा?"

"क्या सरकार गरीब लोगों के लिए वकीलों का बंदोबस्त नहीं करती?"

एग्ज़ैक्टली और ये सरकारी वकील एक वॉचमैन की कितनी परवाह करेंगे? अगर सरकारी सुनवाई के दौरान एक बार प्रकट भी हो जाए तो बहुत जानो।" वकील 'जो भी हो। उसने कुछ नहीं किया है और इसके सबूत मौजूद हैं। एक ना एक दिन तो यह सामने आ ही

जाएगा।'

   0
0 Comments